दिन आ गए सबाब के, आँचल संभालिये
होने लगी है शहर में, हलचल संभालिये
चलना संभल संभल के कठिन राह-ए-इश्क है
नाज़ुक बड़ी है आपकी, पायल संभालिये
...
सज धज के आप निकले, सरे-राह खैर हो
टकरा न जाए आप का, पागल संभालिये
घर से न जाओ दूर किसी अजनबी के साथ
बरसेंगे जोर जोर से, बादल संभालिये
~ मदनपाल
Jun 19, 2014| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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