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Thursday, November 20, 2014

दिन आ गए सबाब के



दिन आ गए सबाब के, आँचल संभालिये
होने लगी है शहर में, हलचल संभालिये

चलना संभल संभल के कठिन राह-ए-इश्क है
नाज़ुक बड़ी है आपकी, पायल संभालिये
...
सज धज के आप निकले, सरे-राह खैर हो
टकरा न जाए आप का, पागल संभालिये

घर से न जाओ दूर किसी अजनबी के साथ
बरसेंगे जोर जोर से, बादल संभालिये

~ मदनपाल


   Jun 19, 2014| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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