
कभी - कभी, तुम्हारी आँखों में
माँ के आशीर्वाद आते हैं।
पल भर में पिघलती,
मदन - मस्त देह गंध की,
आँखों में अंज जातीं,
आख्यायें पावन सौगंध की।
कभी -कभी, तुम्हारी आँखों में,
बहन के दुलार छा जाते हैं।
कभी - कभी तुम्हारी आँखों में......
छलिया, छलावे से लगते हैं,
तितली दर तितली नयन,
बिन बोले अधरों से झरता है,
भौंरों का गुन - गुन, गुंजन।
कभी - कभी तुम्हारी आँखों में,
गीत हर-श्रंगार गाते हैं।
कभी - कभी तुम्हारी आँखों में......,
~ सुरेन्द्र 'सुकुमार'
Dec 6, 2013
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