अब्रे-बहार ने
फूल का चेहरा
अपने बनफ़शी हाथ में लेकर
ऐसे चूमा
फूल के सारे दुख
ख़ुशबू बन कर बह निकले हैं
Ashok Singh
फूल का चेहरा
अपने बनफ़शी हाथ में लेकर
ऐसे चूमा
फूल के सारे दुख
ख़ुशबू बन कर बह निकले हैं
*अब्रे-बहार=बहार रूपी बादल; बनफ़शी=बैंगनीपन लिया हुआ, सुंदर
~ परवीन शाकिर
Mar 27, 2015| e-kavya.blogspot.com~ परवीन शाकिर
Ashok Singh
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