डारो रे रंग, डारो रे रसिया
फागुन के दिन आए रे ।
रंग कछु और नयो खिलाड़ी
मारी पिचकारी भिगोई साड़ी
रंग गई अंग अंग सजनी
खिलन के दिन आए रे ।
दुलहन घूँघट में शरमाए
रसिया नैनन बीच समाए
कूक-कूक कर कोयल बोले
यौवन के दिन आए रे ।
साजन बैठे तन-मन खो कर
छलक रहा है रूप सरोवर
प्यासी प्यासी अँखियाँ बोली
लूटन के दिन आए रे ।
डारो रे रंग, डारो रे रसिया
फागुन के दिन आए रे ।
~ पण्डित इंद्र
Mar 05, 2015 | e-kavya.blogspot.comरसिया नैनन बीच समाए
कूक-कूक कर कोयल बोले
यौवन के दिन आए रे ।
साजन बैठे तन-मन खो कर
छलक रहा है रूप सरोवर
प्यासी प्यासी अँखियाँ बोली
लूटन के दिन आए रे ।
डारो रे रंग, डारो रे रसिया
फागुन के दिन आए रे ।
~ पण्डित इंद्र
Ashok Singh
Vibrant and sweet, Bulo C. Rani in Geeta Dutt's melodious voice:
ReplyDeletehttps://www.youtube.com/watch?v=ie7xPr6EOP8