Disable Copy Text

Saturday, March 28, 2015

मस्तों के जो उसूल हैं


मस्तों के जो उसूल हैं उन को निभा के पी 
इक बूँद भी  कल के लिए तू बचा के पी 

क्यूँ कर रहा है काली घटाओं के इंतिज़ार 
उन की सियाह-ज़ुल्फ़ पे नज़रें जमा के पी 

चोरी ख़ुदा से जब नहीं बंदों से किस लिए 
छुपने में कुछ मज़ा नहीं सब को दिखा के पी 

'फ़य्याज़तू नया है  पी बात मान ले 
कड़वी बहुत शराब है पानी मिला के पी 


~ फ़ैयाज़ हाशमी

   Mar 26, 2015| e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

No comments:

Post a Comment