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Wednesday, April 1, 2015

वो ऐसा जमाल देता है

 


किसी किसी को वो ऐसा जमाल देता है
जो आईने को भी हैरत में डाल देता है
जमाल=खूबसूरती

वो दौर आया कि नन्हा सा एक जुगनू भी
चमकते चाँद में गलती निकाल देता है

अगर किसी से मैं पूछूं कि ये ग़ज़ल क्या है
हरेक शख्स तो तेरी मिसाल देता है

मेरा ज़मीर ही रहबर मेरी खुदी का है
कभी गिरुं तो ये मुझको संभाल देता है
रहबर=रास्ता दिखने वाला

खुदा किसी को मुकम्मल ख़ुशी नहीं देता
हर इक हंसी में वो आंसू भी डाल देता है

~ अजय पाण्डेय 'सहाब'
 
  Dec 8, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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