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Wednesday, April 1, 2015

हस के बोला करो,



हस के बोला करो, बुलाया करो
आप का घर है, आया जाया करो

मुस्कराहट है हुस्न का जेवर
रूप बढ़ता है, मुस्कुराया करो

हद से बढ़ कर हसीन लगते हो
झूठी कसमे जरुर खाया करो

हुक्म करना भी एक सख़ावत है
हमको खिदमत कोई बताया करो
*सख़ावत=दानशीलता

बात करना भी बादशाहत है
बात करना न भूल जाया करो

ताकि दुनिया की दिलकशी न घाटे
नित-नए पैरहन में आया करो
*दिलकशी=खूबसूरती, पैरहन=लिबास

कितने सदा मिजाज़ हो तुम अदम
उस गली में बहुत न जाया करो

~
अब्दुल हमीद अदम

  Dec 12, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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