Tuesday, June 10, 2014
फिरते थे दस्त-दस्त
फिरते थे दस्त-दस्त दीवाने किधर गये
वो आशिक़ी के हाय ज़माने किधर गये
~ शाह मुबारक 'आरज़ू'
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment