Wednesday, June 11, 2014
तुम हक़ीक़त-ए-इश्क़ हों
तुम हक़ीक़त-ए-इश्क़ हों, या फ़रेब मेरी आँखों का
न दिल से निकलते हो न मेरी ज़िन्दगी में आते हो !
~ नामालूम
1/29/2014
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