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Friday, November 21, 2014

कोई रंजिशें कभी थी नहीं

कोई रंजिशें कभी थी नहीं, बस आदतों में तज़ाद था
कि उसे पसंद थी शोखियाँ, मुझे सादगी में कमाल था ।

*तज़ाद=विपरीत (पसंद)

~ 'नामालूम'
   Dec 10, 2013

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