Friday, November 21, 2014

दोस्त अहबाब की नज़रों में





दोस्त अहबाब की नज़रों में बुरा हो गया मैं
वक़्त की बात है क्या होना था क्या हो गया मैं
*दोस्त अहबाब=मित्र मंडली

दिल के दरवाज़े को वा रखने की आदत थी मुझे
याद आता नहीं कब किससे जुदा हो गया मैं
*वा=खुला

कैसे तू सुनता बड़ा शोर था सन्नाटों का
दूर से आती हुई ऐसी सदा हो गया मैं
*सदा=गूँज, प्रतिध्वनि

क्या सबब इसका था, मैं खुद भी नहीं जानता हूँ
रात खुश आ गई और दिन से ख़फ़ा हो गया मैं

भूले-बिछड़े हुए लोगों में कशिश अब भी है
उनका ज़िक्र आया कि फिर नग़्मासरा हो गया मैं
*नग़्मासरा=सुमधुर गाने वाला

~ शहरयार

   Dec 1, 2013

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