Saturday, November 29, 2014

तेरे आंगन की कली



तेरे आंगन की कली
का काँटो से है गठबंधन
तभी जंगली फूलों से हैं,
ये नहीं महँकते.

तेरी पलकें तेरी चादर
और ये तेरे तकिये
आँख की तरह आसुओं
की राह नहीं तकते

~ काशी नाथ, प्रयाग

   April 2, 2013 | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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