Saturday, November 29, 2014

ये दिन ये रात ये लम्हे मुझे

ये दिन ये रात ये लम्हे मुझे अच्छे से लगते हैं
तुम्हें सोचूँ तो सारे सिलसिले अच्छे से लगते हैं
बहुत दूर तलक चलना, मगर फिर भी वहीं रहना
मुझे तुम से तुम तक के फासले अच्छे से लगते हैं

~ नामालूम

   March 16, 2013 | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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