Wednesday, November 19, 2014

कुछ दूर हमारे साथ चलो

 
कुछ दूर हमारे साथ चलो
हम दिल की कहानी कह देंगे
समझे न जिसे तुम आंखों से
वो बात ज़बानी कह देंगे

फूलों की तरह जब होठों पे
इक शोख तबस्सुम बिखरेगा
धीरे से तुम्हारे कानों में
इक बात पुरानी कह देंगे

इज़हार-ऐ-वफ़ा तुम क्या जानो
इकरार-ऐ-वफ़ा तुम क्या जानो
हम ज़िक्र करेंगे घेरों का
और अपनी कहानी कह देंगे

मौसम तो बड़ा ही ज़ालिम है
तूफ़ान उठाता रहता है
कुछ लोग मगर इस हलचल को
बद-मस्त जवानी कह देंगे

*बद-मस्त=मदोन्मत्त, कामोन्मत्त

इब्राहीम अश्क़
   October 5, 2014


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