Friday, November 28, 2014

सिलसिला तोड़ दिया उस ने



सिलसिला तोड़ दिया उस ने
तो ये सदायें कैसी
अब जो मिलना ही नहीं
फिर ये वफाएँ कैसी

मैंने चाहा था
सब शिकवे गिले दूर करूँ
उस ने ज़हमत ही न की
सुनने की, तो ये आहें कैसी

ले लो वापिस ये आँसू
ये तड़प, और ये यादें सारी
नहीं कोई जुर्म मेरा
तो फिर ये सजाएँ कैसी

~ नामालूम


  May 17, 2013 | e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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