सब आँखों के आंसू उजले, सबके सपनों में सत्य पला
जिसने उसको ज्वाला सौपी उसने इसमें मकरंद भरा,
आलोक लुटाता वह घुल-घुल, देता झर यह सौरभ बिखरा;
दोनों संगी पथ एक किन्तु कब दीप खिला कब फूल जला ?
Ashok Singh
जिसने उसको ज्वाला सौपी उसने इसमें मकरंद भरा,
आलोक लुटाता वह घुल-घुल, देता झर यह सौरभ बिखरा;
दोनों संगी पथ एक किन्तु कब दीप खिला कब फूल जला ?
~ महादेवी वर्मा
March 22, 2015 | e-kavya.blogspot.comAshok Singh
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