Sunday, March 22, 2015

सब आँखों के आंसू उजले

सब आँखों के आंसू उजले, सबके सपनों में सत्य पला
जिसने उसको ज्वाला सौपी उसने इसमें मकरंद भरा,
आलोक लुटाता वह घुल-घुल, देता झर यह सौरभ बिखरा;
दोनों संगी पथ एक किन्तु कब दीप खिला कब फूल जला ?

~ महादेवी वर्मा
   March 22, 2015 | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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