Monday, March 30, 2015

ये बातें झूठी बातें हैं ये लोगों ने फैलाई हैं



ये बातें झूठी बातें हैं ये लोगों ने फैलाई हैं
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई है?
*सौदाई=पागल

हैं लाखों रोग ज़माने में, क्यों इश्क़ है रुसवा बेचारा
हैं और भी वजहें वहशत की, इंशा को रखतीं दुखियारा
हाँ बेकल-बेकल रहता है, हो प्रीत में जिसने जी हारा
पर शाम से लेकर सुब्ह तलक, यूँ कौन फिरेगा आवारा?
*वहशत=घबराहट

ये बात अजीब सुनाते हो, वो दुनिया से बेआस हुए
इक नाम सुना और ग़श खाया, इक ज़िक्र पे आप उदास हुए
वो इल्म में अफ़लातून बने, वो शेर में तुलसीदास हुए
वो तीस बरस के होते हैं, वो बी.ए. एम. ए. पास हुए

गर इश्क़ किया है तब क्या है, क्यों शाद नहीं आबाद नहीं
जो जान लिए बिन टल न सके, ये ऐसी भी उफ़ताद नहीं
ये बात तो तुम भी मानोगे, वो क़ैस नहीं, फरहाद नहीं
क्या हिज्र का दारू मुश्किल है, क्या वस्ल के नुस्ख़े याद नहीं
*शाद=प्रसन्न; उफ़ताद=अचानक आई हुई विपत्ति; दारू=दवा; वस्ल=मिलन

वो लड़की अच्छी लड़की है, तुम नाम न लो हम जान गए
वो जिसके लाँबे गेसू हैं, पहचान गए पहचान गए
हाँ साथ हमारे इंशा भी उस घर में थे मेहमान गए
पर उससे तो कुछ बात न की, अनजान रहे अनजान गए

जो हमसे कहो हम करते हैं, क्या इंशा को समझाना है ?
उस लड़की से भी कह लेंगे, गो अब कुछ और ज़माना है
या छोड़ें या तक्मील करें, ये इश्क़ है या अफ़साना है ?
ये कैसा गोरखधंधा है, ये कैसा ताना-बाना है?
ये बातें झूठी बातें हैं ये लोगों ने फैलाई हैं
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई है?
*तक्मील = पूर्णता को पहुँचाना

~ इब्ने इंशा


   Mar 30, 2015| e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh

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