Tuesday, March 31, 2015

दुनिया मेरी नज़र से तुझे देखती रही



दुनिया मेरी नज़र से तुझे देखती रही
फिर मेरे देखने में बता क्या कमी रही

क्या ग़म अगर क़रार ओ सुकूँ की कमी रही
ख़ुश हूँ कि कामयाब मेरी ज़िन्दगी रही

इक दर्द था जिगर में जो उठता रहा मुदाम
इक आग थी कि दिल में बराबर लगी रही
मुदाम=हमेशा

दामन दरीदा लब पे फुगाँ आँख खूँचकाँ
गिरकर तेरी नज़र से मेरी बेकसी रही
दामन= आंचल, दरीदा=हिस्सों में बटा हुआ, लब पे फुगाँ=होठों पर दर्द की पुकार, खूँचकाँ=जिससे खून टपक रहा हो, बेकसी=मजबूरी

आई बहार जाम चले मय लुटी मगर
जो तिशनगी थी मुझको वही तिशनगी रही
तिशनगी=प्यास

खोई हुई थी तेरी तजल्ली में कायनात
फ़िर भी मेरी निग़ाह तुझे ढूँढती रही
तजल्ली=रौनक, कायनात=सृष्टि

जलती रहीं उम्मीद की शम्में तमाम रात
मायूस दिल में कुछ तो ज़िया रोशनी रही

~ मेहर लाल ज़िया फतेहाबादी


  Dec 26, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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