Wednesday, April 8, 2015

उसी अदा से उसी बाँकपन के साथ

उसी अदा से उसी बाँकपन के साथ आओ।
फिर एक बार उसी अंजुमन के साथ आओ।
हम अपने एक दिल -ए बेख़ता के साथ आएँ।
तुम अपने महशरे दारो रसन के साथ आओ।

*अंजुमन=सभा; बेख़ता=अपराधहीन; महशरे=प्रलय; दारो रसन=सूली और रस्सी

~ मख़्दूम मोहिउद्दीन
  Apr 7, 2015 | e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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