Wednesday, April 1, 2015

प्यार की नदी



सूखी
गुलदस्ते सी
प्यार की नदी

व्यक्ति
संवेग सब
मशीन हो गए
जीवन के
सूत्र
सरेआम खो गए
और कुछ न कर पाई
यह नई सदी

वर्तमान ने
बदले
ऐसे कुछ पैंतरे
आशा
विश्वास
सभी पात सो झरे
सपनों की
सर्द लाश
पीठ पर लदी।

~ इसाक अश्क


  Dec 9, 2012| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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