Friday, September 4, 2015
मिले हर ज़ख़्म को मुस्कान से
मिले हर ज़ख़्म को मुस्कान से सीना नहीं आया
अमरता चाहते थे, पर गरल पीना नहीं आया
तुम्हारी और मेरी दास्तां, में फ़र्क इतना है
मुझे मरना नहीं आया, तुम्हें जीना नहीं आया
~ कुमार विश्वास
Aug 11, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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