Thursday, November 5, 2015

सख़्तियाँ करता हूँ दिल पर

सख़्तियाँ करता हूँ दिल पर, ग़ैर से ग़ाफ़िल हूँ मैं
हाय क्या अच्छी कही, ज़ालिम हूँ मैं जाहिल हूँ मैं

*सख़्तियाँ=पाबंदी लगाना; ग़ाफ़िल=असावधान; ज़ालिम=क्रूर; जाहिल=मूर्ख

~ इक़बाल


  Nov 4, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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