Saturday, February 27, 2016

वस्ल में ख़ाली हुई ग़ैर से महफ़िल

वस्ल में ख़ाली हुई ग़ैर से महफ़िल तो क्या
शर्म भी जाए तो मैं जानूँ कि तन्हाई हुई

*वस्ल=मिलन

~ अमीर मीनाई

  Feb 19, 2015|e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment