Thursday, March 17, 2016

ग़ुंचे! तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है

ग़ुंचे! तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
बस एक तबस्सुम के लिये खिलता है,
ग़ुंचे ने कहा कि - इस चमन में बाबा
ये एक तबस्सुम भी किसे मिलता है।

~ जोश मलीहाबादी

  Mar 04, 2015|e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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