Thursday, July 16, 2020

ये चमन-ज़ार ये ख़ुश-रंग बहार



ये चमन-ज़ार ये ख़ुश-रंग बहारों का जहाँ
ज़िंदगी कितनी दिल-आवेज़-ओ-दिल-आरा है यहाँ

*चमन-ज़ार=बाग़ीचा; दिल-आवेज़=आकर्षक; दिल-आरा=जिससे प्रेम हो

चम्पई धूप में हर ज़र्रा है सूरज की किरन
चाँदनी रात में हर फूल है रौशन रौशन
नूर ही नूर ज़मीं से है फ़लक तक रक़्साँ
ज़िंदगी कितनी दिल-आवेज़-ओ-दिल-आरा है यहाँ

*नूर=प्रकाश; रक़्साँ=नृत्य करता हुआ

वादी-ए-गंग-ओ-जमन जन्नत-ए-नज़ारा है
सर-ज़मीं अपनी ज़र-ओ-सीम का गहवारा है
अपने दरियाओं की हर मौज में बिजली है रवाँ
ज़िंदगी कितनी दिल-आवेज़-ओ-दिल-आरा है यहाँ

*ज़र-ओ-सीम=सोने चाँदी सा

वलवले दिल में तो आँखों में उमंगें रौशन
हैं सभी चेहरे यहाँ हुस्न-ए-अमल के दर्पन
अज़्मत मेहनत-ओ-ईसार जबीनों से अयाँ
ज़िंदगी कितनी दिल-आवेज़-ओ-दिल-आरा है यहाँ

*वलवले=जोश; हुस्न-ए-अमल=काम की सुंदरता; अज़्मत=प्रतिष्ठा; ईसार=बलिदान; जबीनों=सुंदरियाँ

आश्ती अम्न मोहब्बत के परस्तार सभी
जज़्बा-ए-मेहर-ओ-मुरव्वत से हैं सरशार सभी
साझे त्यौहार हैं होली हो कि ईद-ए-क़ुर्बां
ज़िंदगी कितनी दिल-आवेज़-ओ-दिल-आरा है यहाँ

*आश्ती=मित्रता; परस्तार=उपासक; जज़्बा-ए-मेहर-ओ-मुरव्वत=प्यार और इंसानियत का भाव
सरशार=मस्त

तर्जुमान-ए-दिल-ए-जम्हूर अदीब-ओ-फ़नकार
इन के अफ़्कार तवाना हैं तख़य्युल बेदार
निखरा निखरा नई सज-धज का है अंदाज़-ए-बयाँ
ज़िंदगी कितनी दिल-आवेज़-ओ-दिल-आरा है यहाँ

*तर्जुमान-ए-दिल-ए-जम्हूर=दिल और जनता की प्रतिनिधि; अदीब-ओ-फ़नकार=लेखक और कलाकार; अफ़्कार=ख़याल; तवाना=बलवान; तख़य्युल=कल्पना

~ साहिर होशियारपुरी

Jul 16, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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