Sunday, March 8, 2015

तेरी भैंस को डंडा कब मारा



तेरी भैंस को डंडा कब मारा
मैंने भैंस को डंडा कब मारा !

तेरी भैंस है प्रज्ञा पारमिता
उसने मेरी खेती खाई थी l
तेरी भैंस है जनता की प्रतिनिधि
उसने मेरी छान गिरायी थी l
तेरी भैंस ने खाया कामसूत्र
तेरी भैंसी ने खा डाली गीता
तेरी भैंस से अब क्या शेष रहा
तेरी भैंस से ही यह युग बीता l

तेरी भैंस के संग सब भैंस हुए
तेरी भैंस को होवे पौबारा l
तेरी भैंस को डंडा कब मारा
मैंने भैंस को डंडा कब मारा !

तेरी भैंस का होगा अभिनंदन
तेरी भैंस का मैं करता वंदन
तेरी भैंस शांति की सूत्रधार
तेरी भैंस आत्मा की क्रंदन
तेरी भैंस के पागुर में भविष्य
तेरी भैंस के पागुर में अतीत
तेरी भैंस के आगे शीश झुका
तेरी भैंस सभी से रही जीत !

तेरी भैंस ही है मेरा जीवन
तेरी भैंस ही है मेरा नारा !
तेरी भैंस को डंडा कब मारा ?
मैंने भैंस को डंडा कब मारा ?

तेरी भैंस के आगे बीन बजी
तेरी भैंस के आगे शहनाई
तेरी भैंस घुस गयी संसद में
सब संविधान चट कर आयी
तेरी भैंस की भैंस में भैंस रहे
तेरी भैंस की भैंस में भैंस बहे
तेरी भैंस करे जो जी चाहे
तेरी भैंस से अब क्या कौन कहे ?

तेरी भैंस मेरे सर-माथे पर
तेरी भैंस पे यह तन-मन वारा !
तेरी भैंस को डंडा कब मारा ?
मैंने भैंस को डंडा कब मारा ?


~ सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

   Mar 08, 2015 | e-kavya.blogspot.com
   Ashok Singh 


*बौद्ध धर्म में 'परिपूर्णता' स्थिति को पारमिता कहा गया है। प्रज्ञा-पारमिता ग्रन्थों में लिखे हुये छः पारमिता में से एक है। प्रज्ञा-पारमिता: 'प्रज्ञा' यानी सत्य का साक्षात्कार। चित्त जब निर्मल हो जाता है, तब प्रज्ञा की प्राप्ति होती है। 

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