उन के लहजे में वो कुछ लोच वो झंकार वो रस
एक बे-क़स्द तरन्नुम के सिवा कुछ भी न था
*बे-क़स्द=प्रयाह-हीन; तरन्नुम=गीत जैसा
काँपते होंटों में उलझे हुए मुबहम फ़िक़रे
वो भी अंदाज़-ए-तकल्लुम के सिवा कुछ भी न था
*मुबहम=अस्पष्ट; फिक़रे=वाक्य; अंदाज़-ए-तकल्लुम=बात करने का तरीका
सैकड़ों टीसें नज़र आती थीं जिस में मुझ को
वो भी इक सादा तबस्सुम के सिवा कुछ भी न था
*तबस्सुम=मुस्कुराहट
सर्द ओ ताबिंदा सी पेशानी वो मचले हुए अश्क
दिन में नूर-ए-माह-ओ-अंजुम के सिवा कुछ भी न था
*सर्द=निर्जीव; ताबिंदा=चमकते हुए; नूर-ए-माह-ओ-अंजुम=चाँद और सितारों की रौशनी
तुंद आहों के दबाने में वो सीने का उभार
एक यूँ ही से तलातुम के सिवा कुछ भी न था
*तुंद=तेज; तलातुम=लहर
मैं ने जो देखा था, जो सोचा था, जो समझा था
हाए 'जज़्बी' वो तवहहुम के सिवा कुछ भी न था
*तवह्हुम=अंध-विश्वास
~ मुईन अहसन जज़्बी
Apr 14, 2018 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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