जान हम तुझ पे दिया करते हैं
नाम तेरा ही लिया करते हैं
चाक करने क लिए ऐ नासेह
हम गरेबान सिया करते हैं
*नासेह=सलाहकार
साग़र-ए-चश्म से हम बादा-परस्त
मय-ए-दीदार पिया करते हैं
*साग़र-ए-चश्म=आंखों के सागर; बादा-परस्त=मय की लत
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
कल न देगा कोई मिट्टी भी उन्हें
आज ज़र जो कि दिया करते हैं
*ज़र==धन
दफ़्न महबूब जहाँ हैं 'नासिख़'
क़ब्रें हम चूम लिया करते हैं
~ इमाम बख़्श 'नासिख'
नाम तेरा ही लिया करते हैं
चाक करने क लिए ऐ नासेह
हम गरेबान सिया करते हैं
*नासेह=सलाहकार
साग़र-ए-चश्म से हम बादा-परस्त
मय-ए-दीदार पिया करते हैं
*साग़र-ए-चश्म=आंखों के सागर; बादा-परस्त=मय की लत
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
कल न देगा कोई मिट्टी भी उन्हें
आज ज़र जो कि दिया करते हैं
*ज़र==धन
दफ़्न महबूब जहाँ हैं 'नासिख़'
क़ब्रें हम चूम लिया करते हैं
~ इमाम बख़्श 'नासिख'
Feb 26, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh