हुस्न पर दस्तरस की बात न कर
ये हवस है हवस की बात न कर
*दस्तरस=पहुँच
पूछ अगले बरस में क्या होगा
मुझ से पिछले बरस की बात न कर
ये बता हाल क्या है लाखों का
मुझ से दो चार दस की बात न कर
ये बता क़ाफ़िले पे क्या गुज़री
महज़ बाँग-ए-जरस की बात न कर
*बाँग=(आवाज़ देना); जरस=घंटी
इश्क़-ए-जान आफ़रीं का हाल सुना
हुस्न-ए-ईसा नफ़स की बात न कर
*इश्क़-ए-जान=शारीरिक; आफ़रीं=प्रशंसा; नफ़स=आत्मा
ये बता 'अर्श' सोज़ है कितना
साज़ पर दस्तरस की बात न कर
*सोज़=जोश, उत्साह; साज़=सम्बंध; दस्तरस=पहुँच
~ अर्श मलसियानी
Apr 16, 2018 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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