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Friday, April 7, 2023

दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे

 

दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे,
उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे।

वो सादगी न करे कुछ भी तो अदा ही लगे,
वो भोल-पन है कि बेबाकी भी हया ही लगे।

ये ज़ाफ़रानी पुलओवर उसी का हिस्सा है,
कोई जो दूसरा पहने तो दूसरा ही लगे ।

नहीं है मेरे मुक़द्दर में रौशनी न सही,
ये खिड़की खोलो ज़रा सुब्ह की हवा ही लगे ।

अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है,
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे।

हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा,
जो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे ।

हज़ारों भेस में फिरते हैं राम और रहीम,
कोई ज़रूरी नहीं है भला भला ही लगे ।

~ बशीर बद्र

 April 07, 2023 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

 

Thursday, April 6, 2023

बे-क़रारी सी बे-क़रारी है

 

बे-क़रारी सी बे-क़रारी है,
वस्ल है और फ़िराक़ तारी है।

जो गुज़ारी न जा सकी हम से,
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है।

निघरे क्या हुए कि लोगों पर,
अपना साया भी अब तो भारी है।

बिन तुम्हारे कभी नहीं आई,
क्या मिरी नींद भी तुम्हारी
है।

आप में कैसे आऊँ मैं तुझ बिन,
साँस जो चल रही है आरी है।

उस से कहियो कि दिल की गलियों में,
रात दिन तेरी इंतिज़ारी है।

हिज्र हो या विसाल हो कुछ हो,
हम हैं और उस की यादगारी है।

इक महक सम्त-ए-दिल से आई थी,
मैं ये समझा तिरी सवारी है।

हादसों का हिसाब है अपना,
वर्ना हर आन सब की बारी है।

ख़ुश रहे तू कि ज़िंदगी अपनी,
उम्र भर की उमीद-वारी है।

~ जौन एलिया

April 06, 2023 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh 

Monday, April 3, 2023

शोला हूँ भड़कने की गुज़ारिश नहीं करता


शोला हूँ भड़कने की गुज़ारिश नहीं करता,
सच मुँह से निकल जाता है कोशिश नहीं करता।

गिरती हुई दीवार का हमदर्द हूँ लेकिन,
चढ़ते हुए सूरज की परस्तिश नहीं करता।
*परस्तिश=पूजा, आराधना

माथे के पसीने की महक आये न जिस से,
वो ख़ून मेरे जिस्म में गर्दिश नहीं करता।
*गर्दिश=घुमाव, चक्कर

हमदर्दी-ए-अहबाब से डरता हूँ 'मुज़फ़्फ़र',
मैं ज़ख़्म तो रखता हूँ नुमाइश नहीं करता।
*हमदर्दी-ए-अहबाब=दोस्तों की सहानुभूति

~ मुज़फ़्फ़र वारसी

April 03, 2023 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh