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Thursday, August 25, 2022

तबीअ'त उदास है


साक़ी शराब ला कि तबीअ'त उदास है 

मुतरिब रुबाब उठा कि तबीअ'त उदास है 

 

रुक रुक के साज़ छेड़ कि दिल मुतमइन नहीं 

थम थम के मय पिला कि तबीअ'त उदास है 

 

चुभती है क़ल्ब ओ जाँ में सितारों की रौशनी 

ऐ चाँद डूब जा कि तबीअ'त उदास है 

 

मुझ से नज़र न फेर कि बरहम है ज़िंदगी 

मुझ से नज़र मिला कि तबीअ'त उदास है 

 

शायद तिरे लबों की चटक से हो जी बहाल 

ऐ दोस्त मुस्कुरा कि तबीअ'त उदास है 

 

मैं ने कभी ये ज़िद तो नहीं की पर आज शब 

ऐ मह-जबीं न जा कि तबीअ'त उदास है 

 

कैफ़िय्यत-ए-सुकूत से बढ़ता है और ग़म 

क़िस्सा कोई सुना कि तबीअ'त उदास है 

 

यूँही दुरुस्त होगी तबीअ'त तिरी 'अदम

कम-बख़्त भूल जा कि तबीअ'त उदास है 

अब्दुल हमीद अदम


Aug 25, 2022 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh