तू मेरे शौक़ की शिद्दत पे हैराँ
मैं तेरे क़र्ब की लज़्ज़त में गुम हूँ
हम इस पल में हैं दोनों क़ाबिले दीद
तुझे देखूँ या तुझको देखने दूँ
Dec 14, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
मैं तेरे क़र्ब की लज़्ज़त में गुम हूँ
हम इस पल में हैं दोनों क़ाबिले दीद
तुझे देखूँ या तुझको देखने दूँ
*शिद्दत=उग्रता; क़र्ब=यातना; लज़्ज़त=स्वाद
~ अहमद नसीम क़ासमी
~ अहमद नसीम क़ासमी
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