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Tuesday, February 28, 2023

अहाहाहा अहाहाहा

 

मय-ओ-साक़ी हैं सब यकजा अहाहाहा अहाहाहा
अजब आलम है मस्ती का अहाहाहा अहाहाहा
*यकजा=एक साथ

बहार आई तुड़ाने फिर लगे ज़ंजीर दीवाने
हुआ शोर-ए-जुनूँ बरपा अहाहाहा अहाहाहा

जिन आँखों ने न देखा था कभी यक अश्क का क़तरा
चले हैं उस से अब दरिया अहाहाहा अहाहाहा

मिरे घर इस हवा में साक़ी-ओ-मुत्रिब अगर होते
तो कैसे मय-कशी करता अहाहाहा अहाहाहा
*साक़ी-ओ-मुत्रिब=शराब पिलानेवाला (ली) और संगीतज्ञ

किया 'बेदार' से आशिक़ को तू ने क़त्ल ऐ ज़ालिम
कोई करता है काम ऐसा अहाहाहा अहाहाहा  

~  मीर मोहम्मदी बेदार

Feb 28, 2023 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh 

 

Friday, February 24, 2023

पहले तो उस की ज़ात ग़ज़ल में समेट लूँ

पहले तो उस की ज़ात ग़ज़ल में समेट लूँ
फिर सारी काएनात ग़ज़ल में समेट लूँ

होते हैं रूनुमा जो ज़माने में रोज़-ओ-शब
वो सारे हादसात ग़ज़ल में समेट लूँ

पहले तो मैं ग़ज़ल में कहूँ अपने दिल की बात
फिर सब के दिल की बात ग़ज़ल में समेट लूँ

कोई ख़याल ज़ेहन से बच कर न जा सके
सारे तसव्वुरात ग़ज़ल में समेट लूँ

'जौहर' वो बात जिस का तअ'ल्लुक़ हो ज़ीस्त से
ऐसी हर एक बात ग़ज़ल में समेट लूँ

~ चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी

Feb 24, 2023 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh 

 

Tuesday, February 14, 2023

जिन ने देखा कहा अहा-हाहा

 

हुस्न उस शोख़ का अहा-हाहा
जिन ने देखा कहा अहा-हाहा

ज़ुल्फ़ डाले है गर्दन-ए-दिल में
दाम क्या क्या बढ़ा अहा-हाहा

आन पर आन वो अजी ओ हो
और अदा पर अदा अहा-हाहा

नाज़ से जो न हो वो करती है
चुपके चुपके हया अहा-हाहा

ताइर-ए-दिल पे उस का बाज़-ए-निगाह
जिस घड़ी आ पड़ा अहा-हाहा

उस की फुरती और उस की लप-छप का
क्या तमाशा हुआ अहा-हाहा

बज़्म-ए-ख़ूबाँ में जब गया वो शोख़
अपनी सज-धज बना अहा-हाहा

की ओ हो-हो किसी ने देख 'नज़ीर'
कोई कहने लगा अहा-हाहा

~  नज़ीर अकबराबादी 

Feb 14, 2023 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh