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Thursday, April 28, 2022

मिरी दास्तान-ए-हसरत वो सुना सुना के रोए


मिरी दास्तान-ए-हसरत वो सुना सुना के रोए,
मिरे आज़माने वाले मुझे आज़मा के रोए।

कोई ऐसा अहल-ए-दिल हो कि फ़साना-ए-मोहब्बत,
मैं उसे सुना के रोऊँ वो मुझे सुना के रोए।

मिरी आरज़ू की दुनिया दिल-ए-ना-तवाँ की हसरत,
जिसे खो के शादमाँ थे उसे आज पा के रोए।

तिरी बेवफ़ाइयों पर तिरी कज-अदाइयों पर,
कभी सर झुका के रोए कभी मुँह छुपा के रोए।

जो सुनाई अंजुमन में शब-ए-ग़म की आप-बीती,
कई रो के मुस्कुराए कई मुस्कुरा के रोए।

सैफ़ुद्दीन सैफ़


Apr 29, 2022 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

Friday, April 22, 2022

रोने वाले तुझे किस बात पे रोना आया

 

हम को तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया 

रोने वाले तुझे किस बात पे रोना आया 

 

कैसे जीते हैं ये किस तरह जिए जाते हैं 

अहल-ए-दिल की बसर-औक़ात पे रोना आया 

 

जी नहीं आप से क्या मुझ को शिकायत होगी 

हाँ मुझे तल्ख़ी-ए-हालात पे रोना आया 

 

हुस्न-ए-मग़रूर का ये रंग भी देखा आख़िर 

आख़िर उन को भी किसी बात पे रोना आया 

 

कैसे मर मर के गुज़ारी है तुम्हें क्या मालूम 

रात भर तारों भरी रात पे रोना आया 

 

कितने बेताब थे रिम-झिम में पिएँगे लेकिन 

आई बरसात तो बरसात पे रोना आया 

 

हुस्न ने अपनी जफ़ाओं पे बहाए आँसू 

इश्क़ को अपनी शिकायात पे रोना आया 

 

कितने अंजान हैं क्या सादगी से पूछते हैं 

कहिए क्या मेरी किसी बात पे रोना आया 

 

अव्वल अव्वल तो बस एक आह निकल जाती थी 

आख़िर आख़िर तो मुलाक़ात पे रोना आया 

 

'सैफ़ये दिन तो क़यामत की तरह गुज़रा है 

जाने क्या बात थी हर बात पे रोना आया 

 

सैफ़ुद्दीन सैफ़


Apr 22, 2022 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

Wednesday, April 6, 2022

राह आसान हो गई होगी

 

राह आसान हो गई होगी,
जान पहचान हो गई होगी।

मौत से तेरे दर्द-मंदों की,
मुश्किल आसान हो गई होगी।

फिर पलट कर निगह नहीं आई,
तुझ पे क़ुर्बान हो गई होगी।

तेरी ज़ुल्फ़ों को छेड़ती थी सबा,
ख़ुद परेशान हो गई होगी।
*सबा=सुबह की हवा

उन से भी छीन लोगे याद अपनी,
जिन का ईमान हो गई होगी।

दिल की तस्कीन पूछते हैं आप,
हाँ मिरी जान हो गई होगी।
*तसकीन=सांत्वना

मरने वालों पे 'सैफ़' हैरत क्यूँ,
मौत आसान हो गई होगी।

~ सैफ़ुद्दीन सैफ़

Apr 06, 2022 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh