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Monday, April 6, 2015

खुसरो दरिया प्रेम का

खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वाकी धार ।
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबॊ सो पार ॥

खुसरो बाज़ी प्रेम की, मैं खेलूं पी के संग ।
जीत गयी तो पिया मोरे, हारी पिया के संग ॥


वोह आवे तो शादी होए, 
उस बिन दूजा और न कोए
मीठे लागे ताके बोल, 

क्यों सखी साजन, ना सखि ढोल

~ खुसरो के दोहे

  Nov 10, 2010| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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