खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वाकी धार ।
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबॊ सो पार ॥
खुसरो बाज़ी प्रेम की, मैं खेलूं पी के संग ।
जीत गयी तो पिया मोरे, हारी पिया के संग ॥
वोह आवे तो शादी होए,
उस बिन दूजा और न कोए
मीठे लागे ताके बोल,
क्यों सखी साजन, ना सखि ढोल
~ खुसरो के दोहे
Nov 10, 2010| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबॊ सो पार ॥
खुसरो बाज़ी प्रेम की, मैं खेलूं पी के संग ।
जीत गयी तो पिया मोरे, हारी पिया के संग ॥
वोह आवे तो शादी होए,
उस बिन दूजा और न कोए
मीठे लागे ताके बोल,
क्यों सखी साजन, ना सखि ढोल
~ खुसरो के दोहे
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