Disable Copy Text

Saturday, February 27, 2016

जान हम तुझ पे दिया करते हैं




जान हम तुझ पे दिया करते हैं
नाम तेरा ही लिया करते हैं

चाक करने क लिए ऐ नासेह
हम गरेबान सिया करते हैं
*नासेह=सलाहकार

साग़र-ए-चश्म से हम बादा-परस्त
मय-ए-दीदार पिया करते हैं
*साग़र-ए-चश्म=आंखों के सागर; बादा-परस्त=मय की लत

ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं

कल न देगा कोई मिट्टी भी उन्हें
आज ज़र जो कि दिया करते हैं
*ज़र==धन

दफ़्न महबूब जहाँ हैं 'नासिख़'
क़ब्रें हम चूम लिया करते हैं

~ इमाम बख़्श 'नासिख'


  Feb 26, 2015|e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment