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Thursday, April 28, 2022

मिरी दास्तान-ए-हसरत वो सुना सुना के रोए


मिरी दास्तान-ए-हसरत वो सुना सुना के रोए,
मिरे आज़माने वाले मुझे आज़मा के रोए।

कोई ऐसा अहल-ए-दिल हो कि फ़साना-ए-मोहब्बत,
मैं उसे सुना के रोऊँ वो मुझे सुना के रोए।

मिरी आरज़ू की दुनिया दिल-ए-ना-तवाँ की हसरत,
जिसे खो के शादमाँ थे उसे आज पा के रोए।

तिरी बेवफ़ाइयों पर तिरी कज-अदाइयों पर,
कभी सर झुका के रोए कभी मुँह छुपा के रोए।

जो सुनाई अंजुमन में शब-ए-ग़म की आप-बीती,
कई रो के मुस्कुराए कई मुस्कुरा के रोए।

सैफ़ुद्दीन सैफ़


Apr 29, 2022 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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