राह आसान हो गई होगी,
जान पहचान हो गई होगी।
मौत से तेरे दर्द-मंदों की,
मुश्किल आसान हो गई होगी।
फिर पलट कर निगह नहीं आई,
तुझ पे क़ुर्बान हो गई होगी।
तेरी ज़ुल्फ़ों को छेड़ती थी सबा,
ख़ुद परेशान हो गई होगी।
*सबा=सुबह की हवा
उन से भी छीन लोगे याद अपनी,
जिन का ईमान हो गई होगी।
दिल की तस्कीन पूछते हैं आप,
हाँ मिरी जान हो गई होगी।
*तसकीन=सांत्वना
मरने वालों पे 'सैफ़' हैरत क्यूँ,
मौत आसान हो गई होगी।
~ सैफ़ुद्दीन सैफ़
Apr 06, 2022 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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