सलामत रहें दिल में घर करने वाले
इस उजड़े मकाँ में बसर करने वाले
गले पर छुरी क्यूँ नहीं फेर देते
असीरों को बे-बाल-ओ-पर करने वाले
*असीरों=क़ैदियों
अंधेरे उजाले कहीं तो मिलेंगे
वतन से हमें दर-ब-दर करने वाले
गरेबाँ में मुँह डाल कर ख़ुद तो देखें
बुराई पे मेरी नज़र करने वाले
इस आईना-ख़ाने में क्या सर उठाते
हक़ीक़त पर अपनी नज़र करने वाले
*आईना-ख़ाने=शीशे की घर
बहार-ए-दो-रोज़ा से दिल क्या बहलता
ख़बर कर चुके थे ख़बर करने वाले
*बहार-ए-दो-रोज़ा=दो दिनों की बहार
खड़े हैं दो-राहे पे दैर ओ हरम के
तिरी जुस्तुजू में सफ़र करने वाले
*दैर ओ हरम= मंदिर मस्जिद
सर-ए-शाम गुल हो गई शम-ए-बालीं
सलामत हैं अब तक सहर करने वाले
*शम-ए-बालीं=ऊँचाई पर जल रहा लैम्प
कुजा सेहन-ए-आलम कुजा कुंज-ए-मरक़द
बसर कर रहे हैं बसर करने वाले
*कुजा=झुकने वाले; सेहन-ए-आलम=दुनिया का आँगन; मरक़द=क़ब्र
'यगाना' वही फ़ातेह-ए-लखनऊ हैं
दिल-ए-संग-ओ-आहन में घर करने वाले
*फ़ातेह=जीतने वाला; दिल-ए-संग-ओ-आहन=पत्थर और लोहे के दिलों में
~ यगाना चंगेज़ी
Oct 09, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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