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Friday, October 9, 2020

सलामत रहें दिल में घर करने वाले

 

सलामत रहें दिल में घर करने वाले
इस उजड़े मकाँ में बसर करने वाले

गले पर छुरी क्यूँ नहीं फेर देते
असीरों को बे-बाल-ओ-पर करने वाले
*असीरों=क़ैदियों

अंधेरे उजाले कहीं तो मिलेंगे
वतन से हमें दर-ब-दर करने वाले

गरेबाँ में मुँह डाल कर ख़ुद तो देखें
बुराई पे मेरी नज़र करने वाले

इस आईना-ख़ाने में क्या सर उठाते
हक़ीक़त पर अपनी नज़र करने वाले
*आईना-ख़ाने=शीशे की घर

बहार-ए-दो-रोज़ा से दिल क्या बहलता
ख़बर कर चुके थे ख़बर करने वाले
*बहार-ए-दो-रोज़ा=दो दिनों की बहार

खड़े हैं दो-राहे पे दैर ओ हरम के
तिरी जुस्तुजू में सफ़र करने वाले
*दैर ओ हरम= मंदिर मस्जिद

सर-ए-शाम गुल हो गई शम-ए-बालीं
सलामत हैं अब तक सहर करने वाले
*शम-ए-बालीं=ऊँचाई पर जल रहा लैम्प

कुजा सेहन-ए-आलम कुजा कुंज-ए-मरक़द
बसर कर रहे हैं बसर करने वाले
*कुजा=झुकने वाले; सेहन-ए-आलम=दुनिया का आँगन; मरक़द=क़ब्र

'यगाना' वही फ़ातेह-ए-लखनऊ हैं
दिल-ए-संग-ओ-आहन में घर करने वाले
*फ़ातेह=जीतने वाला; दिल-ए-संग-ओ-आहन=पत्थर और लोहे के दिलों में

~ यगाना चंगेज़ी  

Oct 09, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh


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