जो चला गया मुझे छोड़ कर, वो ही आज तक मेरे साथ है
जो न मिल सके वो ही बेवफा
जो किसी नज़र से अता हुई, वही रोशनी है ख़याल में
जो किसी नज़र से अता हुई, वही रोशनी है ख़याल में
वो ना आ सके रहु हूंतज़ार, ये खलिश कहा थे वे साल में
मेरी जूसतुजू को खबर नही, ना वो दिन रहे ना वो रात है
जो चला गया मुझे छोड़ कर, वो ही आज तक मेरे साथ है
जो न मिल सके वो ही बेवफा
करे प्यार लब पे गीला ना हो, ये किसी किसी का नसीब है
करे प्यार लब पे गीला ना हो, ये किसी किसी का नसीब है
ये करम है उसका जफ़ा नही, वो जुदा भी रह के करीब है
वोही आँख है मेरे रूबरू, उसी हाथ में मेरा हाथ है
जो चला गया मुझे छोड़ कर, वो ही आज तक मेरे साथ है
जो न मिल सके वो ही बेवफा
मेरा नाम तक जो ना ले सका, जो मुझे क़रार ना दे सका
मेरा नाम तक जो ना ले सका, जो मुझे क़रार ना दे सका
जिसे इकतियार तो था मगर, मुझे अपना प्यार ना दे सका
वोही शख़्श मेरी तलाश हैं, वोही दर्द मेरी हयात हैं
जो चला गया मुझे छोड़ कर, वो ही आज तक मेरे साथ हैं
जो न मिल सके वो ही बेवफा
~ ख़्वाजा परवेज़
Oct1 20, 2021 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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