हज़ार कहता रहा मैं कि यार एक मिनट,
किया न उस ने मिरा इंतिज़ार एक मिनट।
मैं जानता हूँ कि है ये ख़ुमार एक मिनट,
इधर भी आई थी मौज-ए-बहार एक मिनट।
पता चले कि हमें कौन कौन छोड़ गया,
ज़रा छटे तो ये गर्द-ओ-ग़ुबार एक मिनट।
अबद तलक हुए हम उस के वसवसों के असीर,
किया था जिस पे कभी ए'तिबार एक मिनट।
अगरचे कुछ नहीं औक़ात एक हफ़्ते की,
जो सोचिए तो हैं ये दस हज़ार एक मिनट।
फिर आज काम से ताख़ीर हो गई 'बासिर',
किसी ने हम से कहा बार बार एक मिनट।
~ बासिर सुल्तान काज़मी
Dec 14, 2022 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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