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Friday, February 24, 2023

पहले तो उस की ज़ात ग़ज़ल में समेट लूँ

पहले तो उस की ज़ात ग़ज़ल में समेट लूँ
फिर सारी काएनात ग़ज़ल में समेट लूँ

होते हैं रूनुमा जो ज़माने में रोज़-ओ-शब
वो सारे हादसात ग़ज़ल में समेट लूँ

पहले तो मैं ग़ज़ल में कहूँ अपने दिल की बात
फिर सब के दिल की बात ग़ज़ल में समेट लूँ

कोई ख़याल ज़ेहन से बच कर न जा सके
सारे तसव्वुरात ग़ज़ल में समेट लूँ

'जौहर' वो बात जिस का तअ'ल्लुक़ हो ज़ीस्त से
ऐसी हर एक बात ग़ज़ल में समेट लूँ

~ चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी

Feb 24, 2023 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh 

 

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