मैं और तो कुछ तेरी नज़र कर सकता नहीं
मेरे पास चन्द अशआर हैं मेरी जवानी का निखार
ये तेरे कदमों पे निसार कर सकता हूं मैं
ये हीरे हो सकते हैं तेरे जोबन का शिंगार
*निसार=कुर्बान; जोबन=सुंदरता, नवयौवन
मेरे अशआर मेरी दौलत हैं मेरा सरमाया हैं
मेरी जवानी का निचोड़ मेरी जवानी का ख़ुमार
तेरे फूल से गालों की तरह शादाब हैं ये
ऐ मेरी जान-ए-तमन्ना ऐ मेरी जान-ए-बहार
सरमाया=धन, पूँजी; शादाब=ताज़ा, हरा
इक बात कह दूं गर तू बुरा न माने
उमर भर तुझको ये कहीं रुलाते ही न रहें
क्योंकि पौशीदा है इन में मुहब्बत की महक
ग़म बढ़ जाये शायद तुझको हंसाते ही रहें
पोशीदा=छुपा हुआ
यूं तो उमर भर तुमको मैं हमराह रख न सका
तुम इन अशआरों को ही सीने से लगाए रखना
मैं समझूंगा मुझको ही सीने से लगा रक्खा है
प्यार की जोत बस यूं ही जगमगाए रखना
अब भी याद है तुमने लिखा था इक बार मुझे
कि शहज़ादा हूं मैं तेरा मैं तेरा शाह हूं
यूं तो हूं मैं शुकरग़ुज़ार तेरे जज़्बात का
लेकिन मेरी जां मैं तो इक मुजस्सम आह हूं
मुजस्सम=शारीरिक
अच्छा इक तरकीब है दिल को मनाने की
आयो ख़ाबों में हम नए रंग सजा दें
इक नए शाहकार की तशकील करें हम
उस में खो जाएं और माजी को भुला दें
शाहकार= श्रेष्ट कृति; तश्कील=बनाना; माजी=गुज़रा वक़्त
~ कृष्ण बेताब
Mar 9, 2018 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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