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Tuesday, March 13, 2018

इक बे-क़रार दिल से मुलाक़ात

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इक बे-क़रार दिल से मुलाक़ात कीजिए
जब मिल गए हैं आप तो कुछ बात कीजिए

पहले-पहल हुआ है मिरी ज़िंदगी में दिन
ज़ुल्फ़ों में मुँह छुपा के न फिर रात कीजिए

नज़रों से गुफ़्तुगू की हदें ख़त्म हो चुकीं
जो दिल में है ज़बाँ से वही बात कीजिए

कल इंतिक़ाम ले न मिरा प्यार आप से
इतना सितम न आज मिरे साथ कीजिए

बस एक ख़ामुशी है हर इक बात का जवाब
कितने ही ज़िंदगी से सवालात कीजिए

नज़रें मिला मिला के नज़र फेर फेर के
मजरूह और दिल के न हालात कीजिए

दिल के सिवा किसी को नहीं जिन की कुछ ख़बर
दुनिया से किया बयाँ वो हिकायात कीजिए

‍~ नौशाद अली

  Mar 13, 2018 | e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

  प्रसिद्ध फ़िल्म संगीतकार और दादा साहब फाल्के एवार्ड से सम्मानित। शायरी का संग्रह ' आठवाँ सुर ' के नाम     से प्रकाशित

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