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Saturday, March 11, 2017

शाम

Image may contain: one or more people, sky, cloud, tree, ocean, outdoor and nature

पश्चिम के नभ से धरती पर
फैलाती सोने की चादर
कुछ शर्माती कुछ मुस्काती
फूलों को दुलराती कलियों को सहलाती
अपने घन काले कुन्तल
पेडों पर फैलाती
धीरे धीरे धरती पर पग धरती
आई मतवाली शाम

कोयल की कू कू के संग
कू कू करती स्वर दोहराती
झीगुर के झंकारों की
पायल छनकाती
मन के सपनों में रंग भरती
स्वप्न सजाती आई शाम
शीतल करती तप्त हवा को
बाहों में भरकर दुलराती
पेडों के संग झूम झूम कर
कुछ कुछ गाती कुछ कुछ हंसती
सासों में शीतलता भरती
आई रंगीली शाम

प्रियतम से मिलने को आतुर
जल्दी जल्दी कदम बढाती
इठलाती सी नयन झुकाए
तारोंवाली अजब चूनरी
ओढे आई शाम
होने लगे बन्द शतदल भी
भ्रमर हो गए बन्दी उसके
मुग्ध हो रहा था चन्दा भी
देख देख परछाई जल में
बढा हुआ चिडियों का स्वर था
निज निज कोटर में बैठे सब
नन्हें शिशु को कण चुगाती
हंसती आई शाम

~ कुसुम सिन्हा


  Mar 1, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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