होता जो कोई दूसरा
करता गिला मैं दर्द का
तुम तो हो दिल का मुद्दआ'
तुम से शिकायत क्या करूँ
देखो है बुलबुल नाला-ज़न
कहती है अहवाल-ए-चमन
मैं चुप हूँ गो हूँ पुर-मेहन
तुम से शिकायत क्या करूँ
*नाला-जन=विलाप-अवस्था; अहवाल-ए-चमन=चमन की हालत;
पुर-मेहन=बहुत उदास
माना कि मैं बेहोश हूँ
पर होश है पुर-जोश हूँ
ये सोच कर ख़ामोश हूँ
तुम से शिकायत क्या करूँ
*पुर-जोश=भरपूर जोश में
तुम से तो उल्फ़त है मुझे
तुम से तो राहत है मुझे
तुम से तो मोहब्बत है मुझे
तुम से शिकायत क्या करूँ
~ बहज़ाद लखनवी
Oct 27, 2018 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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