जब भी चूम लेता हूँ उन हसीन आँखों को
सौ चराग़ अँधेरे में झिलमिलाने लगते हैं
ख़ुश्क ख़ुश्क होंटों में जैसे दिल खिंच आता है
दिल में कितने आईने थरथराने लगते हैं
फूल क्या शगूफ़े क्या चाँद क्या सितारे क्या
सब रक़ीब क़दमों पर सर झुकाने लगते हैं
ज़ेहन जाग उठता है रूह जाग उठती है
नक़्श आदमियत के जगमगाने लगते हैं
लौ निकलने लगती है मंदिरों के सीने से
देवता फ़ज़ाओं में मुस्कुराने लगते हैं
रक़्स करने लगती हैं मूरतें अजंता की
मुद्दतों के लब-बस्ता ग़ार गाने लगते हैं
*लब-बस्ता=सिले हुए होंट
फूल खिलने लगते हैं उजड़े उजड़े गुलशन में
तिश्ना तिश्ना गीती पर अब्र छाने लगते हैं
लम्हा भर को ये दुनिया ज़ुल्म छोड़ देती है
लम्हा भर को सब पत्थर मुस्कुराने लगते हैं
~ कैफ़ी आज़मी
सौ चराग़ अँधेरे में झिलमिलाने लगते हैं
ख़ुश्क ख़ुश्क होंटों में जैसे दिल खिंच आता है
दिल में कितने आईने थरथराने लगते हैं
फूल क्या शगूफ़े क्या चाँद क्या सितारे क्या
सब रक़ीब क़दमों पर सर झुकाने लगते हैं
ज़ेहन जाग उठता है रूह जाग उठती है
नक़्श आदमियत के जगमगाने लगते हैं
लौ निकलने लगती है मंदिरों के सीने से
देवता फ़ज़ाओं में मुस्कुराने लगते हैं
रक़्स करने लगती हैं मूरतें अजंता की
मुद्दतों के लब-बस्ता ग़ार गाने लगते हैं
*लब-बस्ता=सिले हुए होंट
फूल खिलने लगते हैं उजड़े उजड़े गुलशन में
तिश्ना तिश्ना गीती पर अब्र छाने लगते हैं
लम्हा भर को ये दुनिया ज़ुल्म छोड़ देती है
लम्हा भर को सब पत्थर मुस्कुराने लगते हैं
~ कैफ़ी आज़मी
Mar 17, 2019 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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