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Saturday, April 13, 2019

मन बेचारा

Image may contain: tree, sky, night and outdoor

मन बेचारा एक-वचन
लेकिन
दर्द हज़ार-गुने
चाँदी की चम्मच ले कर
जन्मे नहीं हमारे दिन
अँधियारी रातों के घर
रह आए भावुक-पल छिन
चंदा से सौ बातें कीं
सूरज ने जब घातें कीं
किंतु एक नक्कार-गह में
तूती की ध्वनि
कौन सुने

बिके अभावों के हाथों
सपने खेल-बताशों के
भरे नुकीले शूलों से
आँगन
खेल तमाशों के
कुछ को चूहे काट गए
कुछ को झींगुर चाट गए
नए नए संकल्पों के
जो भी हम ने जाल बुने

~ कुँवर बेचैन


 Apr 13, 2019 | e-kavya.blogspot.com
 Submitted by: Ashok Singh

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