Disable Copy Text

Monday, March 9, 2020

यह मिट्टी की चतुराई है

Image may contain: 1 person, flower, outdoor and closeup

यह मिट्टी की चतुराई है,
रूप अलग औ’ रंग अलग,
भाव, विचार, तरंग अलग हैं,
ढाल अलग है ढंग अलग,
आजादी है जिसको चाहो आज उसे वर लो,
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर को।

निकट हुए तो बनो निकटतर
और निकटतम भी जाओ,
रूढ़ि-रीति के और नीति के
शासन से मत घबराओ,
आज नहीं बरजेगा कोई, मनचाही कर लो,
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो।

प्रेम चिरंतन मूल जगत का,
वैर-घृणा भूलें क्षण की,
भूल-चूक लेनी-देनी में
सदा सफलता जीवन की,
जो हो गया बिराना उसको फिर अपना कर लो,
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो।

होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर लो,
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो,
भूल शूल से भरे वर्ष के वैर-विरोधों को,
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो।

~ हरिवंशराय बच्चन
 
Mar 09, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment