Disable Copy Text

Saturday, March 21, 2020

आता है याद मुझ को गुज़रा हुआ ज़माना

Image may contain: plant, tree, flower, bridge, outdoor, nature and water


आता है याद मुझ को गुज़रा हुआ ज़माना 
वो बाग़ की बहारें वो सब का चहचहाना
आज़ादियाँ कहाँ वो अब अपने घोंसले की
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना
लगती है चोट दिल पर आता है याद जिस दम
शबनम के आँसुओं पर कलियों का मुस्कुराना
वो प्यारी प्यारी सूरत वो कामनी सी मूरत
आबाद जिस के दम से था मेरा आशियाना
आती नहीं सदाएँ उस की मिरे क़फ़स में
होती मिरी रिहाई ऐ काश मेरे बस में

क्या बद-नसीब हूँ मैं घर को तरस रहा हूँ
साथी तो हैं वतन में मैं क़ैद में पड़ा हूँ
आई बहार कलियाँ फूलों की हंस रही हैं
मैं इस अँधेरे घर में क़िस्मत को रो रहा हूँ
इस क़ैद का इलाही दुखड़ा किसे सुनाऊँ
डर है यहीं क़फ़स में मैं ग़म से मर न जाऊँ

जब से चमन छुटा है ये हाल हो गया है
दिल ग़म को खा रहा है ग़म दिल को खा रहा है
गाना इसे समझ कर ख़ुश हों न सुनने वाले
दुखते हुए दिलों की फ़रियाद ये सदा है
आज़ाद मुझ को कर दे ओ क़ैद करने वाले
मैं बे-ज़बाँ हूँ क़ैदी तू छोड़ कर दुआ ले!

‍~ अल्लामा इक़बाल

Mar 21, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment